पिछले एक दशक में “स्मार्ट सिटी” का विचार शहरी जीवन के यूटोपियन मॉडल के रूप में पेश किया गया है — वादा किया गया है साफ-सुथरी सड़कें, तेज यात्रा, ऊर्जा कुशलता और नागरिक-केंद्रित सेवाएं। सरकारें और टेक कंपनियाँ इस पूरे एजेंडे को "इनोवेशन", "सस्टेनेबिलिटी" और "पब्लिक सेफ्टी" जैसे शब्दों में पैक करती हैं।
लेकिन इन चमकदार शब्दों के पीछे एक सच्चाई है — यह ढांचा सार्वजनिक भलाई के लिए नहीं, बल्कि सेंसरशिप और नियंत्रण के लिए तैयार किया जा रहा है।
यह कोई अनुमान नहीं, बल्कि सरकारी दस्तावेज़ों, व्हिसलब्लोअर लीक, और स्वयं इन तकनीकों के डिजाइन से सिद्ध हो चुका है।
5G: केवल स्पीड नहीं, सटीक ट्रैकिंग का हथियार
5G को आम जनता के सामने तेज इंटरनेट स्पीड की सुविधा के रूप में प्रस्तुत किया गया है। लेकिन असल में यह सर्विलांस इंफ्रास्ट्रक्चर है।
4G की तुलना में, 5G में छोटे-छोटे एंटेना हर कुछ सौ मीटर पर लगाने पड़ते हैं।
यह बेहद सटीक रीयल-टाइम लोकेशन ट्रैकिंग की सुविधा देता है — GPS से भी ज्यादा सटीकता के साथ।
IoT डिवाइसेज़ का एक ऐसा जाल बनता है, जिसमें 2030 तक 30 अरब से अधिक डिवाइस ऑनलाइन होने की संभावना है (Statista के अनुसार)।
2019 में The Guardian ने Huawei के लीक हुए दस्तावेज़ों के हवाले से बताया था कि उनके स्मार्ट सिटी प्लेटफॉर्म्स को “पब्लिक सिक्योरिटी” के नाम पर व्यक्तिगत ट्रैकिंग, बर्ताव विश्लेषण और फेस रिकग्निशन ग्रिड के लिए बेचा जा रहा था।
कैमरे + AI = स्वत: निगरानी तंत्र
अब कई शहरों में हर सड़क, चौराहे और इमारत पर HD कैमरे लगे हुए हैं — आम तौर पर "क्राइम प्रिवेंशन" या "ट्रैफिक कंट्रोल" के नाम पर।
लेकिन सच्चाई यह है कि इन कैमरों में फेशियल रिकग्निशन AI इंटीग्रेटेड है।
MIT Technology Review की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, 75 से अधिक देशों में AI आधारित निगरानी तकनीक का उपयोग हो रहा है।
56 देशों में राष्ट्रीय या शहरी स्तर पर फेस रिकग्निशन प्रणाली तैनात की गई है।
लंदन पुलिस अब रीयल-टाइम फेस रिकग्निशन के ज़रिए “पर्सन ऑफ इंटरेस्ट” को ट्रैक कर रही है।
चीन के Skynet और Sharp Eyes प्रोग्राम्स करोड़ों कैमरों को AI सिस्टम से जोड़ते हैं।
अमेरिका में Palantir और Clearview AI जैसी कंपनियां फेशियल रिकग्निशन और प्रेडिक्टिव पुलिसिंग का कॉम्बो बेच रही हैं।
ये डेटा अस्थायी नहीं होते — बल्कि यह स्थायी प्रोफाइलिंग डाटाबेस में जाते हैं।
IoT: सुविधा नहीं, आपकी निजी ज़िंदगी की डिजिटल नकल
स्मार्ट बल्ब, थर्मोस्टैट, फ्रिज, दरवाज़े की घंटी — हर “स्मार्ट” डिवाइस एक निगरानी सेंसर बन चुका है।
2016 में अमेरिका के Director of National Intelligence ने कहा था कि IoT को "सर्विलांस और टारगेटिंग" के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
खतरनाक कारण:
हमेशा ऑन रहने वाले माइक (Alexa, Google Home, Siri)
डिफॉल्ट सेटिंग्स में तीसरे पक्ष को टेलीमेट्री भेजना
डिवाइसों के बीच व्यवहार मिलान कर आपका व्यक्तिगत नक्शा तैयार करना
2022 में Northeastern University की स्टडी में सामने आया कि 72 लोकप्रिय IoT डिवाइसेज़ डाटा को तीसरे पक्ष के साथ साझा करती हैं, और अक्सर यूज़र को इसकी जानकारी भी नहीं होती।
व्यवहार विश्लेषण: केवल देखना नहीं, भविष्यवाणी और नियंत्रण
जब सारी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार हो जाती है, तो अगला कदम केवल निगरानी नहीं बल्कि भविष्यवाणी और प्रभावित करना होता है।
प्रेडिक्टिव पुलिसिंग (जैसे PredPol) — डेटा के आधार पर यह तय करना कि अपराध कहाँ हो सकता है।
भावना विश्लेषण — सोशल मीडिया, कैमरे, ऑडियो रिकॉर्डिंग से असहमति की निगरानी।
डिजिटल ट्विन्स — पूरे शहर और नागरिकों के रियल-टाइम वर्चुअल मॉडल बनाना।
2021 में सिंगापुर सरकार ने स्वीकार किया कि उन्होंने COVID ट्रैकिंग डिवाइस का उपयोग पुलिस जांच के लिए भी किया — जो जनता के विश्वास के साथ धोखा था।
डेटा का स्वामित्व: आपके पास नहीं
सबसे गंभीर समस्या यह है कि स्मार्ट सिटी डेटा:
निजी ठेकेदारों (Cisco, Palantir, Huawei आदि) द्वारा एकत्र किया जाता है।
गोपनीय क्लाउड सर्वर में स्टोर होता है।
ऐसे अनुबंधों के अंतर्गत आता है जिन्हें जनता देख भी नहीं सकती।
EFF (Electronic Frontier Foundation) ने चेताया है कि स्मार्ट सिटी डेटा गवर्नेंस को धीरे-धीरे निजीकरण की ओर धकेला जा रहा है, बिना किसी लोकतांत्रिक निगरानी के।
सुविधा सिर्फ चारा है — असली लक्ष्य है नियंत्रण
आपको सिर्फ ट्रैक नहीं किया जा रहा। आपको प्रोफाइल, मॉडल और मैनेज किया जा रहा है।
भविष्य की स्मार्ट सिटी अगर अभी नहीं रोकी गई तो यह बन सकती है:
CBDC (डिजिटल मुद्रा) जो यह तय करेगी कि आप कहाँ कितना खर्च कर सकते हैं।
सोशल स्कोर जो आपकी यात्रा, नौकरी और सेवाओं को प्रभावित करेगा।
जियो-फेंसिंग — विरोध प्रदर्शन या असहमत विचारों को रोकने के लिए।
ऑटोमेटेड न्याय व्यवस्था — जिसमें कोई इंसानी जवाबदेही नहीं होगी।
क्या किया जा सकता है?
अपने शहर की तकनीकी साझेदारियों की पारदर्शिता माँगें।
फेस रिकग्निशन और बॉयोमीट्रिक निगरानी का विरोध करें।
ओपन-सोर्स और लोकल-होस्टेड टूल्स अपनाएं।
डेटा संप्रभुता के कानूनों का समर्थन करें।
निष्कर्ष
स्मार्ट सिटी की अवधारणा गलत नहीं है। लेकिन जिस तरीके से यह बनाई जा रही है, वह आम नागरिकों के लिए नहीं — प्रशासकों और निगरानी एजेंसियों के लिए है।
अगर आप इन्फ्रास्ट्रक्चर को नियंत्रित नहीं करते, तो वही इन्फ्रास्ट्रक्चर आपको नियंत्रित करेगा।